BA Semester-5 Paper-1 History - Nationalism in Bharat - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?

अथवा
प्रथम विश्व युद्ध के प्रभावों एवं परिणामों की विवेचना कीजिये।।

उत्तर -

प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम

जर्मनी के द्वारा आत्मसमर्पण कर दिए जाने से 11 नवम्बर, 1918 ई. को प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। 4 वर्षे से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध ने विश्व की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक स्थिति को क्षतिग्रस्त कर दिया था। प्रथम विश्व युद्ध निश्चित रूप से अत्यन्त भयंकर तथा विनाशकारी था। युद्ध में धन-जन की अपार हानि हुई। दोनों पक्षों का एक खरब छियासी अरब डॉलर व्यय हुआ। इसके अतिरिक्त इस युद्ध की विभीषिका को विश्व के प्रत्येक देश ने झेला।

प्रथम विश्व युद्ध के परिणामों को राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक आधार पर निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है -

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1. राजनीतिक परिणाम

(i) जनतंत्र की विजय - इस विश्व युद्ध ने यूरोप में निरकुंश राजतंत्र की समाप्ति की तथा जनतंत्र की स्थापना की। इसके फलस्वरूप तीन प्राचीन राजवंश - आस्ट्रिया का हैप्सबर्ग, जर्मनी का होहेनजोलर्न, रूस के रोमेनाफ राजवंश समाप्त हो गए। फ्रेंच क्रान्ति के बाद जन्में उदारवाद तथा जनतंत्रवाद के सिद्धान्तों को स्वीकृति मिली। युद्धोपरान्त यूरोप में दस नवीन गणतंत्र स्थापित हुए जर्मनी, आस्ट्रिया, पोलैण्ड, रूस, चेकोस्लोवाकिया, लिथुएनिया, लेटविया, एस्टोनिया, फिनलैण्ड, तथा यूक्रेन। इंग्लैण्ड, स्पेन, ग्रीस, रूमानिया आदि देशों में जहाँ राजतंत्र रह गया था वहाँ भी राजतंत्र को सीमित करते हुए जनतांत्रिक सुधारों की माँग बढ़ी।

(ii) राष्ट्रीयता का विस्तार - इस युद्ध के आरम्भ में मित्रराष्ट्रों के द्वारा यह युद्ध लोकतंत्र की भावना का सम्मान करने के उद्देश्य से लड़ा जाना बताया गया था। राष्ट्रीयता के आधार पर आठ नए राष्ट्रों - चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, हंगरी, पोलैण्ड, लिथुएनिया लेटविया, एस्टोनिया और फिनलैण्ड का निर्माण भी हुआ। यह सिर्फ विजित राष्ट्रों के अधीनस्थ राष्ट्रों और गैर-यूरोपियन जनता को आत्म निर्णय का अधिकार नहीं दिया गया पराजित देशों के भू-भागों को लूट के माल के रूप में विजेता राष्ट्रों के द्वारा आपस में लूट लिया गया। अतः इस प्रकार जटिल समस्यात्मक रूप में राष्ट्रीयता का विस्तार हुआ।

2. आर्थिक परिणाम

(i) आर्थिक विनाश - सवा चार वर्ष तक चले इस युद्ध में 10 खरब रुपए प्रत्यक्ष रूप से खर्च हुए और जान-माल की परोक्ष हानि का तो कोई अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता। इंग्लैण्ड का राष्ट्रीय ऋण बढ़कर सात अरब तैंतालिस करोड़ पचास लाख पौण्ड हो गया। फ्रांस का राष्ट्रीय ऋण 1,47,472 मिलियन फ्रेंक हो गया। जर्मनी का राष्ट्रीय ऋण 1,60,600 मिलियन मार्क हो गया। इस प्रकार इस विशाल धनराशि को चार साल में दोनों पक्षों ने फूँककर रख दिया। महायुद्ध के आरम्भ में औसतन दैनिक खर्च 40,000 करोड़ रुपये था। 1918 के बाद औसत साढ़े तीन करोड़ रुपये प्रति घण्टा पड़ता था। अनुमानतः 31 मई 1918 ई. तक सभी लड़ने वाले राष्ट्रों का संयुक्त व्यय 35,000 मिलियन पौण्ड हो चुका था।

(ii) जनशक्ति का महाविनाश - इस युद्ध में 80 लाख मृतकों एवं 2 करोड़ घायलों ने यह सिद्ध कर दिया कि यह एक महाविनाशकारी युद्ध था। इस अवधि में 7 हजार व्यक्ति प्रतिदिन मरे। कुल 6 करोड़ मनुष्यों ने सैन्य गतिविधियों में भाग लिया जो इतिहास में अभूतपूर्व घटना है।

(iii) युद्ध ऋण - युद्ध के असाधारण खर्च के कारण संसार के सार्वजनिक ऋणों की मात्रा में भी असाधारण वृद्धि हो गई। 1914 ई. मं् दोनों पक्षों के प्रमुख राज्यों का कुल ऋण 8,000 करोड़ रुपये था जो 5 गुना बढ़कर 1918 ई. में 40,000 करोड़ रुपये हो गया। कुल 13,200 करोड़ रुपयों की सम्पत्ति नष्ट हो गई। विभिन्न देशों का बजट बिगड़ गया। नए कर लगाए गए तथा लोग सब तरह से आर्थिक संकट अनुभव करने लगे। मित्रराष्ट्रों को युद्ध से होने वाले अपार खर्च के लिए संयुक्त राष्ट्र से भारी ऋण लेना पड़ा।

(iv) व्यापार की क्षति - अरबों रुपये के विनाश से राष्ट्रों के व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। अब प्रत्येक राष्ट्र यह प्रयत्न कर रहा था कि वह अन्य देशों से कम से कम माल खरीदे और उन्हें अधिक से अधिक माल बेचें। युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान तथा कुछ लैटिन अमेरिकी देशों ने उन बाजारों में अपने को स्थापित कर लिया जो ब्रिटेन तथा जर्मनी के हाथों में थे। 1925 तक अमेरिका का विदेशी व्यापार दोगुना हो गया।

(v) मुद्रा प्रसार - अपने ऋणों को चुकाने के लिए अनेक यूरोपीय राष्ट्रों ने विशाल मात्रा में कागजी मुद्रा जारी की जिससे कीमतों में भारी वृद्धि हुई तथा मुद्रा मूल्य गिर गया। मुद्रास्फीति ने बचतों को समाप्त कर दिया। यूरोप के सभी देशों में एक प्रकार का आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया जिसे दूर करने के लिए उन्हें अनेक उपाय सोचने पड़े।

(vi) मजदूर आन्दोलन - मजदूरों को अपनी महत्ता की अनुभूति विश्व युद्ध के दौरान हुई। मजदूर अधिक वेतन व कार्य के कम घण्टों की माँग करने लगे। वे रहन-सहन में उन्नति, आराम के प्रबन्ध तथा व्यवसाय के संचालन में अधिकार प्राप्त करने की माँग करने लगे। वे अपने अधिकारों की पूर्ति के लिए अनेक श्रमिक संघों की स्थापना करने लगे व आन्दोलन का भी सहारा लेने लगे।

(vii) राजकीय समाजवाद का विकास - युद्ध के समय उन सब उद्योग-धन्धों और व्यवसायों को, जो युद्ध के लिए आवश्यक थे, जैसे अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने के कारखाने, कोयले और लोहे की खानें, रेल तथा मोटर के व्यवसायों आदि को राज्य ने अपने अधिकार में ले लिया था। जिन उद्योग- धन्धों पर सरकार ने अधिकार नहीं किया था उन पर भी युद्ध की स्थिति के कारण नियन्त्रण रखने की आवश्यकता थी, अतः सरकार ने उन पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। इस प्रकार अनेक राज्यों में आर्थिक जीवन सरकार के अधिकार में आ गया और 'राजकीय समाजवाद की स्वयंमेव स्थापना हो गई थी।

3. सामाजिक परिणाम

(i) अल्पसंख्यकों की समस्या के समाधान के प्रयास - पेरिस शान्ति सम्मेलन में आत्मनिर्णय के आधार पर अल्पसंख्यकों को नए राज्यों में सम्मिलित कर लिया गया। इसके बावजूद भी 17 करोड़ अल्पसंख्यक समायोजित होने से रह गए। पोलैण्ड, यूनान, चेकोस्लोवाकिया, रूमानिया, तुर्की, यूगोस्लोवाकिया आदि देशों में राष्ट्रीयता की दृष्टि से इन देशों से भिन्न लोगों की संख्या लाखों में थी। राष्ट्र संघ ने इन लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्यों से अलग-अलग सन्धियाँ करके इस समस्या को हल करना चाहा, परन्तु स्थायी समाधान न हो सका।

(ii) स्त्रियों की दशा में परिवर्तन - महायुद्ध में सैनिकों की माँग उत्तरोत्तर बढ़ती रहने के कारण प्रत्येक युद्धरत राष्ट्र के लाखों पुरुष अपने-अपने कार्य को छोड़कर युद्ध में चले गए और उनके स्थान पर कारखानों, दफ्तरों, दुकानों, उद्योग-धन्धों आदि में पुरुषों का कार्य स्त्रियाँ करने लगीं। यहाँ तक कि युद्ध क्षेत्र में भी उन्होंने घायल सैनिकों की सेवा का महत्वपूर्ण कार्य किया। इंग्लैण्ड, जर्मनी, रूस में महिलाओं को मताधिकार प्रदान किया गया।

(iii) सांस्कृतिक क्षति - विश्व युद्ध सांस्कृतिक दृष्टि से महाविनाशकारी सिद्ध हुआ। उसने विविध सांस्कृतिक धरोहरों को ध्वस्त ही नहीं किया बल्कि कलाकारों और बुद्धिजीवियों की एक पीढ़ी को भी निगल लिया। स्कूल, कॉलेज तबाह हो गए। संक्षेप में, सांस्कृतिक विकास को जहाँ उससे भारी आघात लगा वहीं पुरानी कलाकृतियों, पुस्तकालयों, ऐतिहासिक इमारतों आदि के विध्वंस से सांस्कृतिक विकास का मार्ग अवरुद्ध हो गया।

(iv) वैज्ञानिक प्रगति - महायुद्ध ने अनेक प्रकार के युद्धकालीन आविष्कारों के द्वारा दुर्निया को नवीन यांत्रिक ताकत प्रदान की। जहाँ वैज्ञानिकों ने जहाँ टैंकों, हवाई जहाजों, पनडुब्बियों आदि के रूप में दुनिया को नए हथियार उपलब्ध कराए वहीं यातायात के साधनों में भी क्रान्तिकारी परिवर्तन किए। नए-नए रासायनिक हथियार तथा औषधियों की भी खोज की गई। युद्धकालीन आवश्यकताओं के लिए वैज्ञानिकों ने कई त्वरित आविष्कारों से दुनिया में वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा दिया।

(v) विश्व संस्थाओं का विकास - प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए कई विश्व संस्थाओं की स्थापना की गई। मादक वस्तुओं के व्यापार को रोकने का प्रबन्ध किया गया। श्रमिकों के कल्याण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ व कानूनी प्रश्नों के समाधान के लिए अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय तथा राजनीतिक समस्याओं के समाधान हेतु राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। इससे अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ।

इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के कारण विश्व की आर्थिक और सामाजिक दशा पर अत्यधिक गम्भीर परिणाम हुए और आने वाले कई वर्षों तक उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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